अप्रैल 2025
यात्राओं का मर्म और मायने: प्रोफेसर शेखर पाठक द्वारा वार्षिक अजित फाउंडेशन संवाद
इतिहासकार और 'पहाड़' संस्था के संस्थापक डॉ. शेखर पाठक ने 12 अप्रैल, 2025 को अजित फाउंडेशन, बीकानेर में "यात्राओं का मर्म और मायने" विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि यात्राएँ व्यक्तिगत और सामाजिक विकास में कैसे योगदान देती हैं, विशेष रूप से हिमालयी क्षेत्र के संदर्भ में। डॉ. पाठक ने 1974 से आयोजित अनोखे अस्कोट-आराकोट दशक यात्रा अभियानों पर प्रकाश डाला, जिन्होंने पिछले पांच दशकों में उत्तराखंड के पर्यावरणीय, सांस्कृतिक और सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों का व्यवस्थित रूप से दस्तावेज़ीकरण किया है। हर दस साल पर होने वाली ये यात्राएँ हिमालयी बदलावों का एक दुर्लभ अनुदैर्ध्य अध्ययन प्रदान करती हैं, जो किसी अन्य शोध पद्धति से संभव नहीं है। सत्र के अंत में प्रतिभागियों ने पहाड़ी समुदायों और पारिस्थितिकी तंत्रों को समझने में ऐसे निरंतर दस्तावेज़ीकरण के महत्व पर चर्चा की।


मार्च 2025
त्रिभाषा काव्य पाठ एवं काव्य यात्रा | 9 मार्च 2025
अजित फाउंडेशन सभागार में एक रंगारंग साहित्यिक संध्या का आयोजन किया गया, जिसमें हिन्दी, राजस्थानी और उर्दू भाषाओं में कवयित्रियों ने अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कीं और अपनी काव्य यात्रा की झलकियाँ साझा कीं। डॉ. रेणुका व्यास ‘नीलम’ ने हिन्दी में अपनी सद्य रचना “नहीं हैं अज्ञेय” के माध्यम से साहित्यिक शिखर पुरुष अज्ञेय को श्रद्धांजलि दी, इसके बाद पर्यावरण संरक्षण पर आधारित “कटता है जब भी हरा पेड़” और महाभारत की गांधारी पात्र पर केन्द्रित लम्बी कविता “गांधारी” के माध्यम से महिला की दुविधा को संवेदनशीलता से प्रस्तुत किया। शारदा भारद्वाज ने उर्दू में साम्प्रदायिक सौहार्द पर आधारित अपनी नज़्म “खुदा हर चेहरे पर मासूमियत…” से वाचन की शुरुआत की और एक अनूठी उर्दू सरस्वती वंदना के माध्यम से आध्यात्मिक विषयों पर अपनी नवाचारी शैली को सामने रखा। डॉ. कृष्णा आचार्य ने राजस्थानी में “माता म्हारी सुरस्त है, मांड मांडणा आखर झोली भर दे” जैसी रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। बेटियों पर आधारित “काळजे री कोर बेटिया” कविता ने भावनात्मक प्रभाव छोड़ा, और होळी व प्रकृति के रंगों से सजी “प्रीत रा परिन्दा गासी प्रीत रा गीतळडा” ने पूरे वातावरण को उल्लास से भर दिया। यह कार्यक्रम भाषाई विविधता, काव्यात्मक सृजनशीलता और साहित्य में महिलाओं की सशक्त उपस्थिति का सुंदर उत्सव रहा। Hindi, Rajasthani, and Urdu. The event featured accomplished women poets who shared both their verses and the stories behind their poetic journeys. Representing Hindi, Dr. Renuka Vyas ‘Neelam’ presented her recent poem “Nahin Hain Agyeya”, paying tribute to the literary giant Agyeya, followed by the environmentally-themed “Katta Hai Jab Bhi Hara Ped”, and the powerful long poem “Gandhari”, centered on the inner dilemmas of the Mahabharata’s Gandhari. In the Urdu segment, Sharada Bhardwaj opened with her nazm “Khuda Har Chehre Par Masoomiyat…”, reflecting on communal harmony and human innocence, and presented an Urdu Saraswati Vandana, showcasing her creative innovation in spiritual poetry. Dr. Krishna Acharya, reciting in Rajasthani, mesmerized the audience with “Mata Mhari Surast Hai, Maand Maandna Aakhar Jholi Bhar De”, and her touching poem on daughters “Kaalje Ri Kor Betiyan”. Her Holi-inspired song “Preet Ra Parinda Gaasi Preet Ra Geetalda”beautifully captured the mood of the season and nature’s joyful rhythms. The event was a celebration of linguistic diversity, poetic expression, and the creative voice of women in literature.

फ़रवरी 2025
बाल साहित्य की दशा एवं दिशा: पुस्तक प्रदर्शनी और संवाद (15-16 फरवरी 2025)
बाल साहित्य की दशा एवं दिशा: पुस्तक प्रदर्शनी और संवाद (15-16 फरवरी 2025)
स्थानीय नालंदा स्कूल में 15 फरवरी को बाल साहित्य की नवीन पुस्तकों की प्रदर्शनी आयोजित की गई, जिसमें विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। स्कूल प्रशासन ने आयोजन में पूरा सहयोग दिया और छात्रों को पुस्तकों के प्रति जागरूक किया। प्रदर्शनी के दौरान बच्चों को पुस्तकालय व अन्य साहित्यिक गतिविधियों की जानकारी दी गई और अगले दिन होने वाले संवाद कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया गया।
16 फरवरी 2025 को संस्था सभागार में “बाल साहित्य: दशा एवं दिशा” विषय पर एक संवाद आयोजित किया गया। वरिष्ठ बाल साहित्यकार आशा शर्मा ने कहा कि आज बाल साहित्य तो लिखा जा रहा है, लेकिन पढ़ने की प्रवृत्ति कम होती जा रही है। बच्चों को केवल पाठ्यक्रम तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि उन्हें साहित्य से जोड़ने के लिए सामाजिक मंचों पर चर्चाएँ आयोजित करनी चाहिए।
व्यंग्यकार डॉ. अजय जोशी ने बाल साहित्य की चुनौतियों पर चर्चा करते हुए पूछा कि क्या बच्चों की रुचि और उनकी भाषा को ध्यान में रखकर साहित्य रचा जा रहा है? उन्होंने बाल साहित्यकारों से आग्रह किया कि वे बच्चों को आकर्षित करने वाले विषयों पर गुणवत्ता युक्त रचनाएँ तैयार करें।
इस आयोजन ने बाल साहित्य के महत्व और भविष्य पर गंभीर मंथन किया और बच्चों को पढ़ने के प्रति प्रेरित करने की दिशा में एक सार्थक पहल सिद्ध हुई।



शिवराज छंगाणी: प्रथम पुण्यतिथि स्मृति कार्यक्रम (22 फरवरी 2025)
प्रसिद्ध राजस्थानी साहित्यकार शिवराज छंगाणी की प्रथम पुण्यतिथि पर 22 फरवरी 2025 को एक भावपूर्ण स्मृति सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में हिंदी एवं राजस्थानी की प्रख्यात कवयित्री डॉ. कृष्णा आचार्य ने उनके व्यक्तित्व की चर्चा करते हुए कहा कि शिवराज छंगाणी ने साधारण से असाधारण तक की यात्रा तय की। उनका स्वभाव अत्यंत विनम्र और स्नेहपूर्ण था। उन्होंने विशेष रूप से रेखाचित्रों के माध्यम से राजस्थानी साहित्य में अपनी अमिट छाप छोड़ी, जो आज भी साहित्य जगत में विशिष्ट स्थान रखते हैं। एक उत्कृष्ट लेखक, संपादक और राजस्थानी साहित्य अकादमी के अध्यक्ष के रूप में, उन्होंने राजस्थानी साहित्य को नई पहचान दी, विशेष रूप से कुंडलियों के माध्यम से। इस अवसर पर कई साहित्यकारों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। युवा साहित्यकार जुगल किशोर पुरोहित ने राजस्थानी भाषा की पहचान पर केंद्रित अपना स्वलिखित गीत प्रस्तुत किया, जिसने सभी को भावविभोर कर दिया। वरिष्ठ साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार ने छंगाणी के योगदान को अनुपम बताते हुए कहा कि उनकी लेखनी की खुशबू आज भी फैली हुई है। कमल रंगा ने उन्हें एक आदर्श व्यक्तित्व बताया और कहा कि वे केवल एक महान लेखक ही नहीं, बल्कि एक मौन साधक भी थे। कवि विशन मतवाला ने शिवराज छंगाणी को एक विशाल आकाश की तरह बताया, जिसके नीचे अन्य साहित्यकार तारे बनकर चमकते हैं। इस अवसर पर युवा कवि आनंद छंगाणी ने “कभी आओ कविता में” शीर्षक से उन पर समर्पित कविता प्रस्तुत कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। यह आयोजन राजस्थानी साहित्य और शिवराज छंगाणी की अमूल्य साहित्यिक विरासत पर विचार-विमर्श का एक सुअवसर बना, जिससे यह सिद्ध हुआ कि उनकी रचनाएँ और विचार साहित्य प्रेमियों को सदैव प्रेरित करते रहेंगे।

स्वतंत्रता सेनानी शौकत उस्मानी पर दो दिवसीय कार्यक्रम 24-25 फरवरी 2025
अजित फाउंडेशन द्वारा आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम “स्वतंत्रता सेनानी: शौकत उस्मानी” के तहत 24 फरवरी 2025 को पुस्तक एवं फोटो प्रदर्शनी का उद्घाटन आकाशवाणी बीकानेर के वरिष्ठ उद्घोषक प्रमोद कुमार शर्मा ने किया। इस प्रदर्शनी में स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ी ऐतिहासिक तस्वीरें और शौकत उस्मानी द्वारा लिखित तथा उन पर लिखित पुस्तकें प्रदर्शित की गईं। इसके बाद उर्दू एवं हिंदी साहित्यकार असद अली ‘असद’ द्वारा उनके जीवन पर आधारित रेडियो रूपक प्रसारित किया गया, जिसमें उनकी बाल्यावस्था से क्रांतिकारी बनने तक की पूरी यात्रा को दर्शाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रमोद कुमार शर्मा ने शौकत उस्मानी को क्रांति की मशाल बताया और उनके साहित्यिक योगदान को भी सराहा। प्रदर्शनी का आयोजन शौकत उस्मानी के प्रौत्र सलीम उस्मानी के सहयोग से संभव हुआ। 25 फरवरी 2025 को “शौकत उस्मानी: एक युग” विषय पर संवाद श्रृंखला आयोजित की गई, जिसमें समाजसेवी अविनाश व्यास ने उनके जीवन के संघर्षों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि 1901 में जन्मे शौकत उस्मानी ने 1920 में बीकानेर छोड़ दिया और अफगानिस्तान होते हुए रूस पहुंचे, जहां वे भारतीय क्रांतिकारियों से जुड़े। ब्रिटिश सरकार द्वारा कई बार गिरफ्तार किए गए उस्मानी कुल 16 वर्षों तक जेल में रहे। आजादी के बाद उन्होंने इंग्लैंड में रहकर सामाजिक व क्रांतिकारी विषयों पर पुस्तकें लिखीं। 1920 में बीकानेर छोड़ने के बाद 1976 में जब वे लौटे, तो उनका नागरिक अभिनंदन किया गया। यह महान स्वतंत्रता सेनानी 26 फरवरी 1978 को दुनिया से विदा हो गया।


जनवरी 2025
मोहम्मद उस्मान आरिफ: साहित्य, समाज और स्मृतियाँ
अजित फाउंडेशन द्वारा 10 से 13 जनवरी 2025 तक प्रसिद्ध साहित्यकार और उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल, मोहम्मद उस्मान आरिफ की पुस्तकों और उनसे जुड़ी दुर्लभ तस्वीरों की प्रदर्शनी आयोजित की गई। उद्घाटन प्रो. भंवर भादानी ने किया, जिन्होंने आरिफ साहब के साहित्य को सामाजिक चेतना और देशभक्ति का प्रतीक बताया। कार्यक्रम में बीकानेर के रचनाकारों ने उनकी ग़ज़लें और कविताएँ प्रस्तुत कीं, जिसमें उनके परिवार के सदस्यों ने भी भाग लिया। 12 जनवरी को “उर्दू के अलमबरदार मोहम्मद उस्मान आरिफ” विषय पर व्याख्यान हुआ, जिसमें उनके साहित्य और समाज में योगदान पर चर्चा हुई। समापन पर डॉ. फखरुन्निसा ने उनके साहित्यिक, शैक्षिक और राजनीतिक योगदान को प्रेरणादायक बताया और उनके नाम पर पुरस्कार स्थापित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।


नारी लेखन एवं समाज: सृजन, संघर्ष और संवाद
अजित फाउंडेशन द्वारा 18 और 19 जनवरी 2025 को “नारी लेखन एवं समाज” विषय पर दो दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया गया। पहले दिन सामुदायिक पुस्तकालय में महिला कवयित्रियों की पुस्तकों की प्रदर्शनी आयोजित हुई, जिसका उद्घाटन साहित्यकार डॉ. कृष्णा आचार्य ने किया। 19 जनवरी को इसी विषय पर एक व्याख्यान आयोजित हुआ, जिसमें मुख्य वक्ता डॉ. बसंती हर्ष ने महिलाओं के साहित्यिक योगदान और समाज में उनकी भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि विपरीत परिस्थितियों के बावजूद महिलाओं ने साहित्य की विभिन्न विधाओं में उल्लेखनीय योगदान दिया है। डॉ. कृष्णा आचार्य ने नारी सृजनात्मकता के ऐतिहासिक महत्व और समाज पर उसके प्रभाव को रेखांकित किया। वरिष्ठ साहित्यकार सरोज भाटी ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि वैदिक काल से लेकर आज तक नारी लेखन ने समाज को नई दिशा दी है और यह साहित्यिक धारा निरंतर प्रवाहमान है।

दिसंबर 2024
जिला स्तर विद्यालय शतरंज प्रतियोगिता 2024: 30-31 दिसंबर 2024
अजित फाउण्डेशन ने 30 और 31 दिसंबर 2024 को अपनी 20वीं वार्षिक जिला स्तरीय स्कूली शतरंज प्रतियोगिता का सफल आयोजन किया। यह प्रतिष्ठित कार्यक्रम पिछले दो दशकों से इस क्षेत्र में युवा शतरंज के विकास का एक महत्वपूर्ण आधार रहा है।
उद्घाटन समारोह
प्रतियोगिता का उद्घाटन प्रसिद्ध शतरंज प्रशिक्षक शंकरलाल हर्ष, वरिष्ठ शतरंज खिलाड़ी अनिल बोड़ा, युवा चिकित्सक डॉ. प्रवीण प्रजापत और युवा शतरंज खिलाड़ी अक्षय व्यास सहित विशिष्ट अतिथियों द्वारा किया गया।
उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता करते हुए शतरंज खिलाड़ी और प्रशिक्षक शंकरलाल हर्ष ने शतरंज की दुनिया में भारत के बढ़ते प्रभुत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कैसे भारत ने वैश्विक शतरंज रैंकिंग में अपनी स्थिति में नाटकीय रूप से सुधार किया है, जो निचले पायदान से अब शीर्ष देशों में गिना जाता है।
विशेषज्ञ अंतर्दृष्टि
प्रतिष्ठित शतरंज प्रशिक्षक अनिल बोडा ने शतरंज और बच्चों के समग्र विकास के बीच सीधे संबंध पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि कैसे यह खेल गणितीय क्षमताओं को बढ़ाता है और युवा प्रतिभागियों के साथ शतरंज की तकनीकों और अंकन के बारे में विस्तृत जानकारी साझा की।
मुख्य अतिथि डॉ. प्रवीण प्रजापत ने शतरंज के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य लाभों के बारे में बात की और इसे जीवन में सफलता का मार्ग बताया। युवा शतरंज खिलाड़ी अक्षय व्यास ने कहा कि शतरंज पूरी तरह अनुशासन का खेल है जो बुद्धि का परीक्षण करता है और व्यक्ति को जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करता है।
समापन समारोह
समापन समारोह में बीकानेर संभाग के पुलिस महानिरीक्षक के निजी सचिव नरेश श्रीमाली ने भाग लिया। अपने संबोधन में उन्होंने प्रतिभागियों को हार से निराश होने के बजाय अपनी गलतियों से सीखने के लिए प्रोत्साहित किया।
समापन समारोह में मुख्य अतिथि डॉ. कृष्ण आचार्य ने अभिभावक-बाल संचार के महत्व तथा चरित्र निर्माण में शैक्षिक कहानी कहने की भूमिका पर जोर दिया।
टूर्नामेंट परिणाम
लड़कों की श्रेणी
- पहले स्थान पर: Team from Perfect Chess Academy (Uday, Khushal, and Gaurav Poonia)
- द्वितीय स्थान: कृष्णा पब्लिक स्कूल, उदयरामसर की टीम (किशन पंचारिया, महेश एवं अमित जाखड़): Team from Krishna Public School, Udayramsar (Kishan Pancharia, Mahesh, and Amit Jakhad)
लड़कों की श्रेणी
- विजेता (रनिंग ट्रॉफी): कवि हृदय चेस एकेडमी की टीम (नेन्सी बोड़ा, हीर तंवर एवं कीर्ति व्यास): Kavi Hriday Chess Academy team (Nancy Boda, Heer Tanwar, and Kirti Vyas)
- Runners-up: Government Harso Ka Chauk team (Anjali Vyas, Monika Upadhyay, and Rajni Kumari)
प्रतिभागिता विवरण
The tournament saw an impressive turnout with 100 participants:
- प्रतिभागिता विवरण
- बालिका वर्ग: 21 प्रतिभागी
इस प्रतिष्ठित कार्यक्रम में उनके उत्साह और भागीदारी को मान्यता देते हुए सभी प्रतिभागियों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।
टूर्नामेंट की सफलता स्कूली छात्रों के बीच शतरंज के प्रति बढ़ती रुचि को दर्शाती है और जिले में युवा शतरंज प्रतिभाओं को बढ़ावा देने के लिए अजीत फाउंडेशन की प्रतिबद्धता को पुष्ट करती है।


हरीश भादानी के कार्यों का उत्सव
हरीश भादानी (1933–2009): एक सप्ताह तक चला स्मृति कार्यक्रम बीकानेर के प्रसिद्ध कवि और अजित फाउंडेशन के मित्र हरीश भादानी को अजित फाउंडेशन में एक सप्ताह तक चलने वाले कार्यक्रम में श्रद्धांजलि दी गई। इस कार्यक्रम में भादानी की पुस्तकों और फोटोग्राफ की प्रदर्शनी का आयोजन किया गया, जिसका उद्घाटन कवि सरल विशारद, कलाकार सन्नू हर्ष, और सामाजिक कार्यकर्ता कविता व्यास ने किया। “हरीश भादानी: स्मृतियों के वातायन से” शीर्षक से 22 दिसंबर 2024 को हिंदी और राजस्थानी के मूर्धन्य साहित्यकार मालचंद तिवाड़ी ने व्याख्यान प्रस्तुत किया। तिवाड़ी ने अपनी पहली मुलाकात का जिक्र किया, जो श्रीडूंगरगढ़ में एक हिंदी प्रचार समिति के आयोजन में हुई थी। उन्होंने भादानी की काव्य धरोहर पर चर्चा करते हुए कहा: • उनकी रचनाओं में दार्शनिक जिज्ञासाएं और आध्यात्मिकता का समावेश है। • उन्होंने गीतों को प्राथमिकता दी क्योंकि वे उन्हें सबसे अधिक प्रभावी माध्यम मानते थे। • भादानी ने पारंपरिक हिंदी व्याकरण के बंधनों से मुक्त होकर अपनी रचनाओं में एक अनोखी भाषाई शैली विकसित की। कार्यक्रम में 21 दिसंबर 2024 को हरीश भादानी का यूट्यूब साक्षात्कार भी प्रदर्शित किया गया। यह कार्यक्रम हरीश भादानी की रचनात्मकता, विचारधारा और काव्य-धरोहर को सम्मानित करने और नई पीढ़ी तक पहुंचाने का एक प्रेरणादायक प्रयास था।

July 2024
Art and Craft Workshop
Chess workshop
Theatre workshop
मई 2024





ड्राइंग कार्यशाला, मई 2024